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गुमनाम क्रांतिकारी !!एक जीवनी !!

swarnvihaan
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IMG-20140812-WA0001हर वर्ष पन्द्रह अगस्त हमें आजादी के वीर सिपाहियों की याद दिला जाता है ! यह भारत की आजादी का दिन है ,और इस आजादी के लिए बलिदान होने वाले असँख्य सेनानियों का भी दिन है !j सौभाग्य देश को आजाद करने का सबके सिर माथे है ,पर जो गुमनाम रह गए उन्हें पहचान दिलाना हमारी भी ,नैतिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी है !
मेरे नाना श्वसुर स्वर्गीय श्री तुलसी राम जी गुप्ता का नाम कुछ ऐसे ही गुमनाम क्रांतिकारियों में दर्ज है ,जिनका देश प्रेम और समाज सुधार का जज्बा ,उनके पूरे जीवन मूल्यों पर सबसे भारी था ! वे बंथरा (कानपुर रोड) निवासी थे ,पर जंगे आजादी की लड़ाई के सक्रिय भूमिका होने के कारण शायद ही कभी अधिक समय तक अपने निवास स्थान या परिवार के साथ रह पाए हों ! वह समय ही ऐसा था ,जब देश का बच्चा -बच्चा देश का सिपाही बन गया था !अंग्रेजो को देश से बाहर खदेड़ने की जैसे सबने कसम खाई थी ! हर घर से एक देश का दीवाना ,रंगरूट उठ खड़ा हुआ था !
तुलसी राम जी का जन्म श्री गोवर्धन शाह जी के पुत्र के रूप में सन, उन्नीस सौ पाँच में हुआ था ! बहुत कम उम्र में ही उन्हें देश की दुर्दशा ,छुआ छूत ,ऊँच नीच ,बाल विवाह आदि सा माजिक और राजनैतिक मुद्दों की गहरी समझ आ गयी थी उसी किशोरा वस्था में ही जानबूझ कर उन्होंने एक अनाथ बालिका से विवाह कर लिया था ,और घोर पारि वारिक असहयोग के बावजूद अपना सारा जीवन देश व् समाज को अर्पित कर दिया था ! वे लगभग बचपन से ही सक्रिय क्रान्ति कारी सह भागिता के कारण अपनी शिक्षा पूर्ण नही कर पाए ! केवल चौथी कक्षा पास करके भी उन्होंने जीवन पर्यंत ऐसे पुण्य कार्य किये ,कि औपचारिक रूप से उच्च शिक्षित युवको को भी उनके जीवन से ईर्ष्या होने लगे !
उन्नीस सौ बयालीस में क्रांत कारी राम कृष्ण खत्री ,कृष्ण कुमार द्विवेदी जैसे जीवट सेनानानियो के संपर्क में आने से उनके अंग्रेजो के खिलाफ हौसलों के पंख लग गये ! अनेको जेल यात्राएँ की ‘ और कोड़े की सजा भुगतने पर भी उनके इरादे मजबूत रहे ,और स्वतंत्रता के इतिहास में अमर काकोरी कांड में उनकी प्रमुख सह भागिता रही ! पूरी योजना में वे सक्रिय रूप से सम्मलित रहे ! कुछ दिनों तक काकोरी कांड में लूटे हुए खजाने की चाबी भी उनके पास रही ! लेकिन उस कांड में अंग्रेजो ने इतनी गिरफ्तारियाँ की ,पर भाग्य वश वे फरार होने में सफल रहे !अंग्रेज इन्हें कभी उस कांड के बाद पकड़ नही पाए !बहुत दिनों तक लखनऊ के गणेश गंज मुहल्ले में, आर्य समाज मंदिर के महंत बन कर इन्होने अपने गुमनामी के दिन काटे ! इसी बीच अंग्रेजो ने उनका घर और,उनके घर का सामान कुर्क कर दिया ! पर उनकी पत्नी ने हिम्मत नही हारी ,बच्चो के साथ वे अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ रह कर अपनी मुसीबतों के दिन काटती रही !आजादी के बाद उनका घर उन्हें वापस मिला !
उनके घर पर आजादी के बाद अनेको सभाएँ  आयोजित होती थी ,और जवाहरलाल जी ,लाल बहादुर शास्त्री ,सरोजिनी नायडू आदि जानी मानी राष्ट्रीय हस्तियाँ प्राय: आती रहती थी ,वे जन सभाएँ कांग्रेस की इसलिए वहाँ होती थी ,कि तुलसीराम जी का निवास कानपुर मुख्य रोड पर ही था ! इस लिए भी वे स्वनाम धन्य हस्तियाँ उस घर को कृत कृत्य करती थी ! पूर्व मुख्य मंत्री चन्द्रभानु जी गुप्ता तो उनके अभिन्न मित्रो में ही थे !
वे आजन्म दलितों के अधिकार के लिए संघर्ष करते रहे ,छुआ छूत ,जातिपाति आदि से बहुत ऊपर उनका व्यक्तित्व सरल और परोपकारी था !वे दलितों के मसीहा कहलाते थे !इस कारण उन्हें कदाचित अपने घर परिवार का भी प्रति रोध झेलना पडा ! उनकी जमीदारी प्रथा उन्मूलन में भी सबसे अग्रणी भूमिका रही ! उनकी पुत्री का विवाह चूकि एक बड़े जमीदार घराने में हुआ था ,अत:उन्हें अपने समधी का भी घोर तिरस्कार झेलना पड़ा , लेकिन उनके कदम कभी अपने सिद्धान्तों से कभी पीछे नही हटे ! वे आचार्य नरेन्द्र देव , राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन जी के बहुत नजदीक थे ,अत:किसान आन्दोलन उनका प्रमुख मुद्दा था ! उन्होंने अपने अंतिम कुछ दिनों में कांग्रेस से भी मुहँ मोड़ लिया था !और पूरी तरह किसान यूनियन से जुड़ गये थे! कांग्रेस में रहते हुए भी उन्होंने कभी कोई पद स्वीकार नही किया ,यह सोंच ही उनके देश के लिए त्याग और निस्वार्थ सेवा भावना को प्रकट कती है !
गरीब बच्चो की शिक्षा हेतु वे सदैव तत्पर रहे ,उन्हें जहाँ कही भी अवकाश मिला ,वे गरीब बच्चो की शिक्षा व्यवस्था में तन मन धन से जुटे रहे ! उनकी मृत्यु गुर्दे की खराबी के कारण बलरामपुर अस्पताल लखनऊ , उन्नीस सौ उनचास में ,अल्पायु में ही हो गयी थी ! इतनी कम आयु में ही इतने सारे कार्य कर जाना ही महापुरुषों की विशेषता होती है ,वे एक क्रांत कारी ,समाज सुधारक ,किसान नेता ,दलित उद्धारक ,गरीबो के रक्षक और एक महामानव थे ! भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में ,ऐसे अनेको अनाम ,अनचीन्हे व्यक्तित्व है ,जिन्होंने चुपचाप अपने जीवन की, घरपरिवार की ,आहुति इस आजादी के महा यज्ञ में दे दी ,जिनके कारण आज हम भारतीय शान से अपना तिरंगा आसमान में लहरा रहे है !हम उनके ऋणी है ,वे जो कभी प्रकाश में नही आ पाए ! वे जो कभी अपने  देश से अपने बलिदान का हिसाब नही माँगते !उन सभी प्रात:स्मरणीय ,बंदनीय ,महान आत्माओ को ,ज्ञात अज्ञात सभी सेनानियों को इस पावन राष्ट्रीय पर्व पर हमारी श्रद्धांजलि अर्पित है !अपना सम्पूर्ण जीवन उत्सर्ग करके जिन्होंने हमारे रास्ते को फूल़ो से भर दिया ,उन्हें सलाम !!जय हिन्द !!

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