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जब ठोकर लगती पांवो में,तब याद तुम्हारी आती है !
जब दुनिया छलती है मुझको ,माँ याद तुम्हारी आती है !!
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यह कड़ी धूप है जीवन की ,मै कब तक सब चुप चाप सहूँ ,
किसकी गोदी में छुप जाऊँ ,किससे सीने की घुटन कहूँ !
जब दिन भारी हो जाता है, तब याद तुम्हारी आती है ,
जब सारा जग सो जाता है , माँ याद तुम्हारी आती है !
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क्यों मुझे अकेला करके माँ ,तू इस दुनिया से चली गयी?
किससे पूँछू मै पता तेरा ? सब ओर ढूँढ कर हार गयी !
जी रह-रह कर घबराता है ,तब याद तुम्हारी आती है !
सपना जब कोई डराता है ,माँ याद तुम्हारी आती है !
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वह वक्षस्थल अब रहा नही ,जिस पर सर रख कर रोउँ मै!
स्पर्श तुम्हारा छूट गया , अब चैन से कैसे सोऊँ मै ?
मन को कोई तड़पाता है ,तब याद तुम्हारी आती है !
कोई जब मुझे रुलाता है ,तब याद तुम्हारी आती है ,
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जन्मों-जन्मों का नाता था ,यूँ मुझसे मुख न मोड़ो माँ,
बचपन में चलना सिखलाया ,अब ऊँगली को न छोडो माँ !
मन मुझ को जब भरमाता है , माँ याद तुम्हारी आती है ,
माँ कह कर कोई बुलाता है ,तब याद तुम्हारी आती है !!
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