Menu
blogid : 15855 postid : 686055

दीप अकेला !!कविता !!कांटेस्ट !!

swarnvihaan
swarnvihaan
  • 131 Posts
  • 1380 Comments

दीप मुझे तुम सा जलना है !
बहुत कारवाँ मिले राह में ,
फिर भी एकाकी चलना है !
अंतर्मन की चाह अधूरी ,
नहीं तेल न बाती पूरी ,
पांव थके है दूर सवेरा ,
कठिन डगर है ,रैन अधूरी ,
क्या कहना है ?क्या सुनना है ?
दीप मुझे तुम सा जलना है !
साक्षी है यह तमस हमारा ,
हमने कोई समर न हारा !
बनती मिटती रेख धुँए की
दुःख का करती है बँटवारा ,
हर कीमत में मुझे समय के ,
आँसू का हर कण चुनना है !
दीप मुझे तुम सा जलना है !
दर्प आँधियों क कुचलेगा ,
आने वाला कल बदलेगा ,
मिटटी में यदि मिल जायें तो ,
एक नया अंकुर निकलेगा !
शूल बिछे हो यदि मीलों तक ,
तब भी चलते ही रहना है !
दीप मुझे तुम सा जलना है !!

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh