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हे महा शक्ति
हे कलयाणी!
जयोतिर्मय अम्रत कलश छलको !
जीवन में रस बरसो बरसो !!
मै दीप सुमन परिमल विहीन ,
कुमकुम अक्षत
नैवेद्य हीन ,
मै शक्ति हीन मै तेज हीन ,
सुषमा विहीन सौरभ विहीन !
मै हृत सर्वस्व। अकिंचना ,
इन चरणों में अब ,शरणों में ,
हे क्षमा शिवा ममता करुणा ,
अभिशाप पाप हर लो हर लो!
स्वीकार आज कर लो कर लो !
भावो में श्रद्धा सी बिखरो ,
निखरो मन में उज्ज्वलता सी!
स्वप्नों में छाया सी लहरों ,
चेतनता में चंचलता सी !
शुचिता सी प्राणों में बहती ,
उषा सी श्वशो के तम में !
हे सरस्वती !
वरदान मयी ,
वाणीअमृत सरसों सरसों !
हे महा देवि हर्षो हर्षो !
अर्चना वंदना ऋचा मंत्र ,
सब अंग साधना अश्रु बनी!
अभिलाषायेँ आकाक्षाऐँ ,
आशीष नही अनुताप बनी !
सर्वस्व समर्पण अभिनन्दन ,
आलोक प्रभा धारा उर में ,
हे शक्ति मयी अनुराग मयी !!
सौभाग्य राग भर दो भर दो ,
सम्पूर्ण आज कर दो कर दो !!!
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