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contest-हिंदी-भाषा….!

swarnvihaan
swarnvihaan
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हिंदी देश की भाषा है सशक्त समर्थ हिंदी भारत की आत्मा है . हाँ वह
गरीबो , गवांरो , अनपढ़ों की भी भाषा है पर वास्तव मैं वह विद्वानों लेखको महापुरुषों की भाषा है वह देश के हर नागरिक की भाषा है .
पिछले साठ सालो से अंग्रेजी परस्त लोगो द्वारा सुनियोजित अभियान चला कर हिंदी को नीचा दिखाया जा रहा है उदारी करण के इस दौर मैं देशी हर वस्तुं लज्जा की वस्तुं बनती जारही है अपने माँ बाप भी अनपढ़ देहाती हो तो आज की संताने उनका दुसरो से परिचय करवाने तक मैं झिझकती हैं कुछ ऐसा ही हिंदी के हो रहा है निश्चय ही अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय संपर्क की भाषा आज बनी हुई है पर चीन जापान रूस जैसे देशो ने अपनी उन्नति के लिए अपनी भाषा का सहारा लिया क्या वे हमसे कम विकसित देश है ? फिर हम क्यों नहीं अपनी हिंदी भाषा में उन्नति कर सकते है ? वास्तव में हिंदी जगत के महान लेखक जय शंकर प्रसाद निराला हरिवंश रॉय बच्चन नरेन्द्र कोहली ममता कालिया मन्नू भंडारी आदि दिग्गजों का यह निरादर ही होगा कि हिंदी इतनी सस्ती भाषा है उसका अपमान हिंदी में लिखने वाले सभी बुद्धि जीवियो का अपमान है हिंदी वैज्ञानिक रूप से इतनी संपन्न है देवनागरी लिपि के साथ मिलकर आज की जरू रत को भी भली भांति पूरा करती है कम्पयूटर टेबलेट मोबाइल आदि पर देव नगरी में भलीभाति लिखी जारही है पर हिंदी सेवियों में हिंदी के प्रति समर्पण और सेवा भाव की कमी के कारण अग्रेजी से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ ती जा रही है हिंदी में दुर्भावना व् जोड़ तोड़ की नीति को हिंदी के पुरोधा सच्चे मन से छोड़ कर हर छोटे या अच्छा लिखने वाले का सही मूल्यांकन करे तो बहुत हद तक समस्या सुधर जाएगीहिंदी इस विशाल देश को गुलामी से आजाद कराने की भाषा है हिंदी अविश्वसनीय रूप से व्यापक समर्थ और आम खास की संवेदना संचेतना को आवाज देने की भाषा है वह दिल है हिंदुस्तान का यकीन है हिंदुस्तान का है सारे जहाँ में हिंदुस्तानी की पहचान है हिंदी से ! इस देश ने मुगलों की क्रूरता अंग्रेजो की नीचता छल कपट बर्बरता सब झेली है हिंदी उस इतिहास का दस्तावेज है सब भाषा के शब्दों को अपनाती अपने साथ लेकर चलती सबको नेह बाँटती भागीरथी सी बहती पर कभी नहीं बिगड़ ती ऐसा है इसका स्वरूप ! हिंदी शब्द कोष असीम शक्तिशाली है प्रत्येक भाव भंगिमा प्रत्येक वाक्य विन्यास प्रत्येक स्थितिया विचार दर्शन सब कुछ ज्यो का त्यों इसमें अभिव्यक्त हो सकता है ऐसी सुगठित एक एक पाई की सजगता किस भाषा में प्रतिबिंबित हो सकती है ? अग्रेजी आधुनिक टेक्नोलोजी की विज्ञानं की भाषा है पर हिंदी प्रेम की गीत की अध्यात्म की भाषा है रहीम की कबीर की तुलसी की मीरा की संतो कवियों की भाषा है माँ की लोरियों सी मीठी सदा तो हिंदी में ही है इसलिय हम सभी भाषाओ का आदर करे ,उसमे काम करे आगे भी बढे पर बिंदी तो हिंदी के माथे पर ही लगेगी
, मर्यादा में गंगा सी है यमुना सी है कल कल बहती!
, भारत माँ की राज दुलारी , मेरी प्यारी सी ये हिंदी!
, संविधान के अनुच्छेद में पाया सिहासन था ऊँचा
, गद्दारी की कुछ लोगो ने सरे आम हिंदी को बेचा
, पापी अपने पाप न धोये फिर भी उसको कुछ न कहती
, भारत माँ की राज दुलारी मेरी प्यारी सी ये हिंदी
, ढोल गंवारो की भाषा कह सारा दोष लगाया इस पर
, तन पर घाव लगे है गहरे उससे गहरे कोमल मन पर
, अपने घर के दरवाजे पर नाम गैर का कैसे लिखती !
, भारत माँ की राजदुलारी मेरी प्यारी सी ये हिंदी !!!

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